कौशल संवर्धन कक्षाएं

 

दक्षता दृष्टिः च यदा संगच्छतः, अनुपमा कृतिः अपेक्ष्यते

टर्र-रम-टू प्री-स्कूल टेलीविज़न प्रोजेक्ट (पी.एस.टी.वी.) के तहत सी.आई.ई.टी. द्वारा निर्मित एक शैक्षिक श्रृंखला है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. यशपाल ने इस श्रृंखला की अवधारण की क्योंकि वे विश्वास रखते थे कि बच्चों को सहज रूप से सीखने में आनंद का अनुभव होता है। इस अद्भुत शैक्षिक श्रृंखला का प्रसारण 90 के दशक में दूरदर्शन पर किया गया।
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कौशल संवर्धन कक्षाओं का उद्देश्य बड़ी संख्या में शिक्षार्थियों को उनके वांछित क्षेत्रों में सीखने और कौशल के विकास हेतु पाठ्यक्रम तैयार करना है। इससे उन्हें त्वरित गति से बेहतर आजीविका हासिल करने में मदद मिलेगी। यह मंच नृत्य, संगीत, फोटोग्राफी जैसे व्यवसायोन्नत क्षेत्रों में दक्षता हासिल करने में मदद करेगा।
 
नाट्य शास्त्र और रंगमंच की भारतीय परंपरा
उपाख्यान : 30
नाटक, रंगमंच, संगीत और उससे जुड़ी प्रयोगधर्मी परंपरा की व्याख्या करने वाले ग्रंथ को नाट्य शास्त्र कहा जाता है। यह भारत की कलात्मक निधि है। यह ग्रंथ संपूर्ण विश्व की कलात्मक कृतियों में सबसे प्राचीन, विशद, प्रामाणिक एवं सर्वांगीण विश्व-कोषात्मक ग्रंथ के रूप में विख्यात है। नाट्य शास्त्र के प्रणेता भरतमुनि कहे गए हैं। प्रस्तुत श्रृंखला में 30 उपाख्यानों के माध्यम से भारतवर्ष की संपूर्ण कला परंपरा के संदर्भ में नाटक और रंगमंच के सिद्धांतों और प्रयोगों का संपूर्ण विवेचन प्रस्तुत किया गया है। नाट्य शास्त्र के 36 अध्यायों द्वारा नाट्य की उत्पत्ति, प्रमाण, प्रयोग और समस्त विधाओं को सरल भाषा में उद्घाटित किया गया है।
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